महाराणा प्रताप के बेटे अमर सिंह के दिलेर किस्से, मुगल बादशाह ने छोड़े थे सिंहासन

महाराणा के बाद बेटे अमर सिंह ने मेवाड़ की गद्दी संभाली थी.

आपको बता दें कि महाराणा अमर सिंह ने मुगलों के खिलाफ 17 युद्ध लड़े थे, लेकिन आखिर हारे.

महाराणा प्रताप के बेटे अमर सिंह का जन्म 16 मार्च, 1559 को हुआ था.

अमर सिंह 23 साल बाद वे पहली बार युद्ध में उतरे थे.

अमर सिंह ने 1582 में पिता महाराणा प्रताप का साथ दिया था. जो किले से 50 किमो दूर था.

दिवेर में मुगलों की सेना पर अमर सिंह की फौज फूल हावी रही थी.

अमर सिंह की छोटी सी टुकड़ी के सामने मुगल सेना के पैर भी नहीं टीक पाए थे.

12 साल में महाराणा प्रताप ने बेटे अमर सिंह काफी इलाके को दौबारा जीता था.

लेकिन चित्तौड़गढ़ और मंडलगढ़ के किले फिर भी कब्जे में नहीं आए थे.

महाराणा प्रताप ने साल 1597 में 56 की उम्र में मुगलों के सामने अंतिम सांस ली.

अकबर की मौत के 2 साल बाद जहांगीर ने अपने बेटे परवेज को फौज व तोपों के साथ भेजा.

लेकिन महाराणा अमर सिंह ने गुरिल्ला युद्ध में मुगलों के पसीने छुटा दिये थे.

जहांगीर ने 1605 से 1615 के बीच कई बार सेना को भेजा लेकिन हर बार हार हाथ लगी.

1615 संधि में मेवाड़ भारी पड़ रहा था, लेकिन महाराणा अमर सिंह इससे खुश नहीं थे.

1620 में संधि के दर्द के कारण अमर सिंह ही उनका निधन हुआ था.

इस मुगल बादशाह के राज में हरम की महिलाओं को क्यों ठूंस-ठूंस कर खिलाया जाता था?

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