उस समय पर हमें शीशम की डंड़ी से पिटाई होती थी। कभी-कभी टीचर अंगुली में चॉक भी दबाते थे या डस्टर से मार देते थे।
उनका कहना कि स्कूल में मिली डांट-फटकार और मार भी जरुरी थी, तभी जीवन में इंसान आगे बढ़ने का काम करता है।