Honey Bee Farming: साधारण खेती के साथ करें ये खेती, सालाना कमाएंगे लाखों रूपये
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Honey Bee Farming: मुरैना के रहने वाले प्रमोद शर्मा किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। साल 2003 से पहले पारंपरिक खेती करते थे। गेहूं, सरसों और बाजरा उगाते थे, लेकिन कमाई अच्छी नहीं होती थी। कभी मौसम की मार, तो कभी मार्केट में सही कीमत नहीं मिलने से परेशान थे। इसके बाद 2003 में प्रमोद शर्मा ने 5 बक्सों से मधुमक्खी पालन शुरू किया। इसका फायदा भी मिला। अच्छी आमदनी भी होने लगी। अब वह करीब 125 बक्सों से साढ़े 3 लाख रुपए हर साल कमाते हैं। इसके अलावा, जड़ी-बूटियों के पौधों से भी सलाना करीब एक लाख रुपए की अतिरिक्त आय भी कर लेते हैं। आज जिले में दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर की 'स्मार्ट किसान' सीरीज में इस बार आपको मिलवाते हैं दिमनी क्षेत्र के सिरमौर का पुरा गांव के किसान प्रमोद शर्मा से। प्रमोद 12वीं तक पढ़ाई की है। प्रमोद के पिता भी किसान थे। वे भी परंपरागत खेती करते थे। प्रमोद को बागवानी का शौक था, इसलिए उन्होंने खेत में तरह-तरह के फल और जड़ी-बूटियों के पेड़ लगाए। इसी बीच मधुमक्खी पालन की जानकारी मिली, तो साल 2003 में मधुमक्खी पालन शुरू किया।
5 बक्सों से शुरू किया मधुमक्खी पालन
मुझे मधुमक्खी पालन की जानकारी नहीं थी। नुकसान का डर भी था, इसलिए शुरुआत में सिर्फ 5 बक्से मधुमक्खी पालन के लिए लेकर आया। एक बक्से की कीमत 4500 रुपए थी। जिस बक्से में मधुमक्खियों की संख्या ज्यादा हो जाती थी, उसे दूसरे बक्सों में डाल देता था। इस बीच, कुछ मधुमक्खियां मर जाती थीं। एक बॉक्स में 7 से 8 फ्रेम में मक्खियां होती हैं। इसमें रानी मधुमक्खी, नर मधुमक्खी और मादा मधुमक्खियां शामिल हैं। मधुमक्खी पालन प्रकृति पर आधारित है। अगर हम मधुमक्खी के बॉक्स को ऐसी जगह लगाएं, जहां पहले से ही फूल लगे हों, तो मधुमक्खियां 2 से 3 दिन में शहद बनाना शुरू कर देती हैं।
कम लागत में शुरू होने वाला यह व्यवसाय पहले साल से ही लाभ देने लगता है। एक बक्स से साल में 40 से 50kg तक शहद का उत्पादन हो जाता है। जुलाई-अगस्त में मधुमक्खी पालन शुरू करने का सही समय होता है। इस दौरान फूल ज्यादा संख्या में खिलते हैं। फरवरी-मार्च तक फूलों की संख्या ज्यादा होती है। इससे मधुमक्खी की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
जब परागण के लिए बाहर नहीं जातीं, तो देनी पड़ती है चाशनी
जब मधुमक्खियों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, तब शक्कर की चाशनी मधुमक्खियों को भोजन के लिए देना पड़ता है। शक्कर का पतला घोल इनके पोषण के लिए अच्छा होता है। चाशनी बनाते समय पानी उबालने की जरूरत नहीं होती है। इसे 50-60 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म कर सकते हैं। गाढ़ी चीनी की चाशनी में दो भाग चीनी और एक भाग पानी रखना चाहिए। आमतौर पर बसंत और गर्मी के दौरान पतली चीनी की चाशनी इन्हें दी जाती है।
कैसे तैयार होता है शहद
एक बक्से में 5 से 7 हजार मधुमक्खियां रहती हैं। इसमें एक रानी मधुमक्खी और कुछ ड्रोन (नर मधुमक्खी) व वर्कर मधुमक्खी रहती हैं। फूल के समय खेतों ओर बगीचों में बक्से रखे जाते हैं। 3 किमी की रेंज से मधुमक्खियां फूलों से रस लाकर बक्से के छत्ते में भरती हैं। एक दिन में रानी मधुमक्खी 1500 से 2000 अंडे देती है। वर्कर मधुमक्खियां अपने पंख से लाए रस को झेलते हुए पानी सुखाते हैं और शहद तैयार करते हैं।
बाजार में 20 से ज्यादा प्रकार के शहद मौजूद
भारतीय मार्केट में 20 से ज्यादा प्रकार के शहद मिल जाते हैं। कई बड़ी कंपनियां पूरे 12 महीने बाजार में एक ही प्रकार का शहद उपलब्ध कराती हैं। जामुन, लीची, बेर, यूकेलिप्टस, नीम, करंजी, सरसों, सूरजमुखी समेत अन्य प्रकार के शहद सिर्फ मधुमक्खी पालक के पास उपलब्ध होते हैं। फूलों के खिलने का समय कुदरत ने अलग-अलग बनाया है। अगर हम मधुमक्खी के बॉक्स फूलों के आसपास रखते हैं, तो मधुमक्खियां फूलों के नेक्टर कलेक्ट कर बॉक्स में रखेंगी। इस प्रकार से बने शहद की क्वालिटी और बेहतर होगी।
ट्रेनिंग लेकर ही शुरू करें मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण लेकर ही करना चाहिए। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि किसान को ये पता चल जाता है कि उसे कहां से सही बक्स या अच्छी किस्म की मधुमक्खी मिल सकती हैं। अगर किसी किसान को मधुमक्खी पालन का अनुभव नहीं है, तो उसे सीधे शुरुआत करने की जगह पहले किसी स्थानीय मधुमक्खी पालक के साथ काम करके इसका अनुभव लेना चाहिए।
इटालियन मधुमक्खी से मिलता है ज्यादा शहद
आम मधुमक्खियों की तुलना इटालियन मधुमक्खी से 3 गुना ज्यादा शहद उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इटालियन मधुमक्खी चारों दिशाओं से शहद इकठ्ठा करती हैं। इस मधुमक्खी की संख्या कम समय में ही लगभग 50 हजार तक पहुंच जाती है और यह तीन गुना तक शहद इकट्ठा करती हैं।
एक बक्स में 8 से 10 लकड़ी के तार कसे फ्रेम होते हैं
मधुमक्खी को खाली बक्से में पाला जाता है, जिसमें 8 से 10 लकड़ी के तार कसे फ्रेम रहते हैं। एक बक्से में जब मधुमक्खियों की संख्या बढ़ जाती है, तो दूसरे बक्से में डाल देते हैं। इस प्रकार मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाया जाता है। फिर नए बक्से में जो वर्कर मधुमक्खियां होती हैं। वह रानी मधुमक्खी का सेल बनाती हैं।
ऐसे निकालते हैं शहद
शहद निकलने के लिए ड्रम नुमा मशीन होती है, जिसमें खाने बने होते हैं। उन खानों में शहद भरे फ्रेमों को डाला जाता है। उसके बाद एक हैंडल के माध्यम से घुमाया जाता है, प्रेशर से शहद फ्रेमों में से बाहर निकल जाता है। ड्रम के नीचे बने पाइप से बाहर आता है।
2 एकड़ में 100 से ज्यादा किस्मों के पौधे लगाए
मधुमक्खी पालन के साथ-साथ प्रमोद शर्मा अपने दो एकड़ में सौ से ज्यादा किस्मों के पौधे लगाए हैं। जिनमें 12 से ज्यादा कैक्टस के पौधे हैं। इनमें जड़ी-बूटियों के पौधे भी शामिल हैं। प्रमोद इन पेड़ों के फलों को बेचकर साल में लगभग एक लाख रुपए की अतिरिक्त आय भी कर लेते हैं। इन पौधों को देश के अलग-अलग हिस्सों से लाकर यहां लगाए हैं।
मधुमक्खी पालन में इन उपकरणों की जरूरत
मधुमक्खी पालन के पहले साल में उपकरणों पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। मधुमक्खी के छत्तों के अलावा उनके डंकों से बचने के लिए जरूरी कपड़े, विशेष मास्क और दस्ताने की जरूरत पड़ती है। साथ ही, एक साधारण खुरपी, धुआं करने वाले यंत्र की जरूरत होती है। दरअसल, इससे मधुमक्खियों को शांत करने में मदद मिलती है। एक ब्रश, हथौड़ी, कील, पेंचकस, स्क्रू, चाकू, प्लास, तार, सेल क्लिप, सेल हैंडल की आवश्यकता होती है। इनके बॉक्स को हमेशा छायादार स्थान पर रखना चाहिए।