Cow variety: जानिए इस छोटे कद वाली गायों की ये नस्ल के बारे में, पीएम मोदी भी करते है इस गाय की पूजा
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Cow variety: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बीते दिनों छोटे कद वाली गायों को देखकर कई लोगों को ताज्जुब हुआ। मकर संक्रांति के दिन पीएम अपने आवास पर इन्हें चारा खिलाते दिखे थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर गायों के साथ अपनी तस्वीरें शेयर की थीं। ये सभी गाय पुंगनूर नस्ल की थीं। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में ये गाय पाई जाती हैं। इस नस्ल की गाय ज्यादा चारा भी नहीं खाती हैं। पुंगनूर क्षेत्र में होने के कारण इन्हें पुंगनूर गाय कहते हैं। ये शुद्ध देसी गाय हैं। पुंगनूर गायों की क्या विशेषताएं हैं? उन्हें विशेष नस्ल क्यों माना जाता है? आइए, यहां इन गायों के बारे में सबकुछ जानते हैं।
पुंगनूर नस्ल क्या है और ये गाय कहां पाई जाती हैं?
पुंगनूर एक देसी नस्ल है। इन नस्ल की गाय दक्षिणी आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में चित्तूर जिले के पुंगनूर, वायलापाडु, मदनपल्ली और पालमनीर तालुका में पाई जाती हैं। यह गायों की अलग तरह की बौनी नस्ल है। इन्हें दुनिया में सबसे छोटे कूबड़ वाली गाय माना जाता है। इनका छोटा आकार इन्हें घर में रखना आसान बनाता है।
किन रंगों की होती हैं पुंगनूर नस्ल की गायें?
पुंगनूर गायें सफेद, भूरे, हल्के या गहरे भूरे और काले रंग की हो सकती हैं। इन गायों के सींग छोटे और अर्धचंद्राकार के होते हैं। इनकी लंबाई बमुश्किल 10-15 सेमी होती है। नर मवेशियों (बैलों) में अक्सर सींग पीछे और आगे की ओर मुड़े होते हैं। गायों में ये सीधी और आगे की ओर मुड़ी होती हैं। बैलों की तुलना में गायों के सींग थोड़े लंबे होते हैं।
कितनी है देसी गायों की यह नस्ल?
पुंगनूर नस्ल एक समय विलुप्त होने के कगार पर थी। देशभर में उनकी संख्या 3,000 से भी कम हो गई थी। हालांकि, पिछले कुछ सालों में यह संख्या बढ़ी है। 2019 में 20वीं पशुधन जनगणना में पशुधन और मुर्गी पालन की नस्ल-वार रिपोर्ट बताती है कि पुंगनूर की कुल संख्या 13,275 थी। इसमें 9,876 शुद्ध और 3,399 ग्रेडेड थीं। यह 2012 में 19वीं पशुधन जनगणना की संख्या की तुलना में बेहतर आंकड़ा था। तब सिर्फ 2,828 पुंगनूर रिकॉर्ड की गई थीं। इनमें 2,772 शुद्ध और 56 ग्रेडेड नस्ल की थीं।
इस नस्ल को बचाने के क्या प्रयास हुए हैं?
केंद्र और आंध्र प्रदेश सरकारों ने पुंगनूर जैसी देसी नस्लों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने पुंगनूर नस्ल को बढ़ावा देने के लिए अपने बजट के जरिये वित्तीय सहायता प्रदान की है। केंद्र ने पुंगनूर और अन्य देसी नस्लों को बढ़ावा देने के लिए पीवी नरसिम्हा राव तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में गोकुल ग्राम की स्थापना के लिए फंड आवंटित किया है। आंध्र प्रदेश के चिंतालादेवी, नेल्लोर में दक्षिणी क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र (एनकेबीसी) स्थापित किया गया है।
कितना देती हैं दूध, कितना खाती हैं चारा
पुंगनूर गाय बहुत ज्यादा नहीं खाती हैं। रोजाना इन्हें 5 किलो तक चारे की जरूरत होती है। इससे 3 लीटर दूध रोज लिया जा सकता है। कुछ गायें और भी ज्यादा दूध दे सकती हैं। एक गाय किसी भी भरे पूरे परिवार की दूध की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी है। छोटे आकार के कारण इन्हें पालना बहुत आसान है।