12th Fail SDM : एक प्रेम कथा ऐसी भी, ‘12वीं फेल’ कैसे बना एसडीएम, जानिए इस अधिकारी की लव स्टोरी

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12th Fail SDM : एक प्रेम कथा ऐसी भी, ‘12वीं फेल’ कैसे बना एसडीएम, जानिए इस अधिकारी की लव स्टोरी

12th Fail SDM : कहते हैं कि प्रेम में बड़ी ताकत होती है। इस ताकत का असल अंदाजा आपको भी फिल्म ‘12वीं फेल’ देखकर हो सकता है। ये एक ऐसी कहानी है जिसमें चंबल से आए एक आशिक के पास खाने को पैसे नहीं हैं। रहने के लिए सिर पर छत नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग यानी कि यूपीएससी का यू भी नहीं पता है और वह इश्क कर बैठता है एक सुंदर सी, सलोनी सी और मन की मजबूत सी एक पहाड़न से। इस प्रेम कहानी पर बनी है फिल्म ‘12वीं फेल’। फिल्म तो शुक्रवार को रिलीज होगी, चलिए इसके पहले आपको हम बताते हैं कि इस कहानी के नायक मनोज कुमार शर्मा और इसकी नायिका श्रद्धा जोशी की असल प्रेम कहानी क्या है..!

मध्य प्रदेश का मुरैना जिला, जहां के बीहड़ों में कभी बागियों के बारूद के गंध से हिंदुस्तान भर मे दहशत फैल जाती थी। ऐसे बीहड़ से निकलकर मनोज कुमार शर्मा के आईपीएस अधिकारी बनने की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। मनोज कुमार शर्मा का जन्म मध्य प्रदेश में मुरैना जिले के एक छोटे से गांव बिलगांव में साल 1977 में हुआ। पिता रामवीर शर्मा कृषि विभाग में कार्यरत थे और घर की माली हालत खराब थी। दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद के बीच मनोज कुमार नकल के सहारे हाईस्कूल पास कर गए। 11वीं भी किसी तरह पास हो गई, लेकिन 12वीं में आकर उनके ज्ञान चक्षु पहली बार खुले।

इलाके के सारे स्कूलों में बच्चों को बस शिक्षित बनाया जा रहा था। हाईस्कूल, इंटर पास का सर्टिफिकेट थमाकर। ज्ञान किसी के पास कोई नहीं था। होता भी कैसे सारे मास्टर खुद की नकल जो कराते थे। मनोज भी निश्चिंत 12वीं पास होने के बाद टाइपिंग सीखेंगे, कहीं बाबू की नौकरी करेंगे और घर की हाल ठीक कर देंगे। लेकिन, ऐन 12वीं बोर्ड की परीक्षा के समय तहसील में आए नए एसडीएम ने सारी नकल रुकवा दी। मनोज 12वीं फेल हुए। लेकिन, यहीं से उन्हें ये भी पता चला कि कोई तो अफसर है जो प्रिंसिपल से भी बड़ा होता है।

Real Story of IPS Manoj Kumar Sharma whose life inspired vidhu vinod chopra film 12th fail vikrant massey

मनोज कुमार शर्मा ने ठान लिया कि वह मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की परीक्षा देकर एसडीएम बनेंगे। बस इस बार उन्होंने 12वीं ईमानदारी से पास की और आ गए ग्वालियर। वहां पता चला कि तहसील के एसडीएम से भी बड़ा अफसर डीएम होता है और उसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा होती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली का मुखर्जी नगर चर्चा में था सो मनोज पहुंच गए दिल्ली। लेकिन, दिल्ली में रहना इतना आसान थोड़े ही है।

लेकिन मनोज ने हार नहीं मानी। घर पर थे तो वहां की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मनोज ऑटो चला चुके थे। दिल्ली में भी उन्होंने काम तलाशना शुरू किया। जब तक ढंग का काम नहीं मिला तब तक कभी भिखारियों के साथ फुटपाथ पर ही सो गए तो कभी अमीरों के घरेलू कुत्ते भी टहलाने ले गए। फिर उन्हें एक लाइब्रेरी  में काम मिला। यूपीएससी की कोचिंग शुरू हुई और इसी दौरान मनोज कुमार शर्मा को उत्तराखंड के अल्मोड़ा की श्रद्धा जोशी से प्यार हो गया।

दोनों की प्रेम कहानी में असल मोड़ तब आया जब मनोज लगातार तीन प्रयासों में असफल रहे और श्रद्धा जोशी का पीसीएस में सेलेक्शन हो गया। श्रद्धा को लगा कि अगर मनोज को कोई बड़ी चुनौती नहीं दी गई तो वह उसे पार नहीं कर पाएगा। उसने अपने आशिक को तब दी प्यार की चुनौती। मनोज ने श्रध्दा को यह कहते हुए प्रपोज किया था, 'तुम आई लव यू कह दो तो मैं दुनिया पलट दूंगा।' वही हुआ। घरेलू विरोध के बावजूद श्रद्धा ने मनोज का उन दिनों साथ दिया जब उसे प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत थी। और, मनोज का हौसला बढ़ाने के लिए उसने आई लव यू भी बोल ही दिया।

और, वाकई में मनोज कुमार शर्मा ने दुनिया पलट दी। प्रीलिम्स और मेन क्लीयर करने के बाद मनोज कुमार शर्मा ने जिस बोर्ड के सामने अपना इंटरव्यू क्लीयर किया, उसकी कहानी इस पूरी कहानी का असली क्लाइमेक्स है। कहते हैं कि बोर्ड के चेयरमैन को कभी नहीं कि एक 12वीं फेल लड़का एक अच्छा अफसर बन पाएगा। लंबा ‘शास्त्रार्थ’ चला। इंटरव्यू बोर्ड के तीन सदस्यों का मनोज को साथ मिला और वह आईपीएस अधिकारी  बन गए। इस समय मुंबई में सहायक पुलिस आयुक्त के पद पर मनोज कुमार शर्मा को लोग पुलिस विभाग का ‘सिंघम’ कहकर भी बुलाते हैं। उनकी पत्नी बन चुकी श्रद्धा जोशी इन दिनों महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की सचिव हैं। अनुराग पाठक ने ये पूरी कहानी एक किताब ‘ट्वेल्थ फेल’ में लिखी है और इसी कहानी पर बनी है विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म।
 

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