मर्दों के हाथ का आचार, इस दुकान पर मिलती है आचार की 75 वैरायटी

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वैसे तो आचार हमारी दादी -नानी और मम्मी के हाथ के जायके का खजाना है | लेकिन राजस्थान में एक ऐसे व्यापारी है जिनके हाथ के आचार की खुशबु विदेशों में भी है | 

विश्व विरासत में शुमार जयपुर आपको आर्ट के साथ जायकों का खजाना भी मिलेगा |  यहां जिस भी पकवान ने अपनी पहचान बनाई, उसी पर गलियों के नाम भी रख दिए गए। जैसे- जहां घी के व्यापारी सबसे ज्यादा थे, उसका नाम रखा ‘घी वालों का रास्ता’।

इसी तरह बापू बाजार में एक गली है, जिसका नाम 190 साल पुरानी एक दुकान पर रखा गया। ये है विजय लाल अचार वाले। इस पूरी गली में कई दुकाने है, लेकिन अचार केवल एक ही दुकान पर मिलता है। इस दुकान पर मिलने वाले अचार की खास बात ये है कि उस घर के सिर्फ मर्द ही आचार को बनाते हैं।

जैसे ही गली में आप दाखिल होंगे आपको दादी-नानी के हाथों से बने देसी मसालों वाले अचार की खुशबू  उस दुकान तक खिंच ले जायेगी|राजा -महाराजाओं के ज़माने की ये दुकान जिसमे एक या दो नहीं पूरे 75 वैरायटी के अचार मिलते हैं। 

चौड़ा रास्ता से गोपाल जी का रास्ता में जाने पर बापू बाजार की तरफ जाने वाली एक लिंक रोड आती है। यहीं पर है अचार वालों की गली। पूरी गली में दूर-दूर तक देखेंगे तो अचार की एकमात्र दुकान है विजयलाल अचार वाला। बाकी दुकानें ज्यादातर रेडीमेड गारमेंट्स या जनरल स्टोर की हैं। और तो और नगर निगम के सरकारी कागजों में भी इस गली का नाम यही है | 

अभी इस दुकान में अतुल अग्रवाल बैठते है और वे इस आचार के काम को सँभालने वाले पांचवीं पीढ़ी में आते है | उनके दादाजी विजयलाल ने इस काम को काफी फेमस किया।

 वे जितनी वैरायटी का अचार बनाते थे, आस-पास कहीं भी इतने फ्लेवर नहीं मिलते थे। ऐसे-ऐसे अचार बनाए, जिनके लोगों ने नाम तक नहीं सुने होते थे।

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