Old Pension Scheme: जानिए आखिर क्यों लागू करवाना चाहते है कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम, क्या खामियां है नई पेंशन स्कीम में

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Old Pension Scheme: जानिए आखिर क्यों लागू करवाना चाहते है कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम, क्या खामियां है नई पेंशन स्कीम में

Old Pension Scheme:  राजधानी दिल्ली में स्थित रामलीला ग्राउंड (Delhi OPS Rally) एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, रविवार को पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) बहाली  की मांग को लेकर तमाम राज्यों के शिक्षक और अन्य कर्मचारियों की भारी भीड़ यहां पर जुटी। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के बैनर तले ये पेंशन शंखनाद महारैली आयोजित की गई थी। ऐसे में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की उठ रही मांग के बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर क्यों ये कर्मचारी इसे लागू करने पर जोर दे रहे हैं और New Pension Scheme यानी NPS से ये कितना अलग है। इसके साथ ही अगर सरकार OPS लागू करती है, तो सरकारी खजाने पर कितना बोझ बढ़ेगा। 

ओल्ड पेंशन स्कीम को इस तरह समझें
केंद्र सरकार और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच लंबे समय से नई और पुरानी पेंशन स्कीम (New And Old Pension) को लेकर टकराव जारी है। इस खींचतान के बीच एक बार फिर से OPS की मांग को लेकर प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। हालांकि, सरकार पुरानी पेंशन स्कीम बहाली के पक्ष में  नहीं है। सबसे पहले बात कर लेते हैं कि आखिर ये Old Pension Scheme (OPS) है क्या? तो बता दें कि ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी को अनिवार्य पेंशन का अधिकार मिलता है। ये रिटायरमेंट के समय मिलने वाले मूल वेतन का 50 फीसदी होता है। यानी कर्मचारी जितनी बेसिक-पे पर अपनी नौकरी पूरी करके रिटायर होता है, उसका आधा हिस्सा उसे पेंशन के रूप में दे दिया जाता है। 

Old Pension Scheme में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को वर्किंग एंप्लाई की तरह लगातार महंगाई भत्ता समेत अन्य भत्तों का लाभ भी मिलता है, मतलब अगर सरकार किसी भत्ते में इजाफा करती है, तो फिर इसके मुताबिक पेंशन में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। 

न्यू पेंशन स्कीम से कितना अलग OPS?
न्यू पेंशन स्कीम को साल 2004 में लागू किया गया था और इसके दायरे में वे सरकारी कर्मचारी आते हैं जिनकी नियुक्ति 2004 के बाद हुई है। पुरानी और नई पेंशन स्कीम में जहां काफी अंतर है, तो दोनों के कुछ फायदे और नुकसान भी हैं। इनमें सबसे बड़ा अंतर ये है कि OPS के तहत पेंशन की रकम का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है और इस स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी तरह का कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है। वहीं NPS के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। नई पेंशन स्कीम में GPF की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में ये सुविधा कर्मचारियों को मिलती है। नई पेंशन स्कीम शेयर बाजार (Stock Market) पर आधारित है, तो इसमें लॉन्ग टर्म में रिटर्न बेहतर मिलने की संभावना रहती है, हालांकि, कम रिटर्न की स्थिति में फंड घटने की आशंका भी बनी रहती है। 

 सरकारी खजाने पर बोझ का कैलकुलेशन
सरकार की ओर से कहा जाता रहा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाने का काम करती है। इसे लेकर बीते सितंबर महीने में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें इस बोझ के बारे में आंकड़ों के साथ जानकारी दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने से राजकोषीय संसाधनों पर ज्यादा दबाव पड़ेगा और राज्यों की सेविंग प्रभावित होगी। आरबीआई की मानें तो उसकी स्टडी में सामने आया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से अपनाने पर छोटी अवधि में राज्यों के पेंशन खर्च में कमी जरूर आएगी, लेकिन भविष्य में अनफंडेड पेंशन देनदारियों में बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा। OPS के कारण बढ़ने वाला पेंशन बोझ 2030 तक राज्यों के NPS में दिए जाने वाले योगदान से ज्यादा होगा।


राज्यों की वित्तीय हालत पर असर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की इस स्टडी रिपोर्ट में बताया गया कि Old Pension Scheme को अपनाने के बाद पेंशन पर होने वाला खर्च New Pension Scheme के तहत अनुमानित पेंशन खर्च का करीब 4।5 गुना बढ़ जाएगा। इसके कारण सरकारी खजाने पर पड़ने वाला बोझ भी बढ़कर 2060 तक जीडीपी का 0।9 फीसदी तक पहुंच सकता है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक, ओपीएस को बहाल करने से राज्यों की वित्तीय हालत पर भी असर होगा और ये खराब हो सकती है
 

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