उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव: विपक्ष की रणनीति या शक्ति परीक्षण?
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राज्यसभा में उप-राष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए विपक्ष ने 10 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। यह भारत के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी उप-राष्ट्रपति के खिलाफ सदन में ऐसा प्रस्ताव पेश किया गया है।
क्यों हटाना चाहता है विपक्ष?
विपक्ष का आरोप है कि सभापति धनखड़ सदन में निष्पक्षता नहीं बरत रहे हैं और विपक्षी दलों को पर्याप्त समय नहीं दे रहे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
इससे पहले 8 अगस्त 2024 के मानसून सत्र में धनखड़ और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई थी। उस समय कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और TMC सांसद डेरेक ओ'ब्रायन के साथ धनखड़ की तीखी नोकझोंक हुई थी।
क्या हुआ शीतकालीन सत्र में?
9 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए और जॉर्ज सोरोस से सोनिया गांधी के संबंधों का मुद्दा उठाया। अगले दिन धनखड़ ने NDA को यह मुद्दा उठाने की अनुमति दी, जिससे विपक्ष भड़क उठा और हंगामा करने लगा।
महाभियोग प्रक्रिया क्या है?
उप-राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67 में निर्दिष्ट है।
- 14 दिन का नोटिस: प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।
- सभापति की भूमिका: प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सभापति सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते।
- वोटिंग की शर्तें: राज्यसभा में बहुमत और लोकसभा में साधारण बहुमत से प्रस्ताव पास होना जरूरी है।
क्या विपक्ष के पास पर्याप्त संख्या है?
राज्यसभा में प्रस्ताव पास करने के लिए 116 सांसदों की जरूरत है। विपक्ष के पास फिलहाल 84 सांसद हैं, जबकि NDA का बहुमत है। ऐसे में प्रस्ताव पास होना असंभव दिखता है।
महाभियोग: विपक्ष की रणनीति या कांग्रेस की परीक्षा?
विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष का यह कदम राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। इससे INDIA गठबंधन की एकता और कांग्रेस के नेतृत्व का परीक्षण भी होगा।
पहली बार लाया गया ऐसा प्रस्ताव
भारतीय राजनीति में यह पहली बार है कि उप-राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है। इससे पहले 2020 में उपसभापति के खिलाफ विपक्ष ने प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था।
यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता का प्रदर्शन है या सत्तापक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश, यह देखना बाकी है।