चुनाव से पहले नीतीश कुमार का बड़ा फैसला: मंत्रियों और अधिकारियों को मिली नई वित्तीय शक्तियां !
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में योजनाओं की स्वीकृति और वित्तीय शक्तियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। नई व्यवस्था के तहत राज्य के मंत्री और वित्त मंत्री अब 15 करोड़ से 30 करोड़ रुपये तक की योजनाएं स्वीकृत कर सकेंगे। वहीं, वरिष्ठ अधिकारियों को भी उनकी वित्तीय शक्तियों के दायरे में बदलाव के साथ नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
योजनाओं की स्वीकृति के नियम बदले
सरकार ने विभागीय मंत्रियों और अधिकारियों की वित्तीय शक्तियों को नए सिरे से परिभाषित किया है।
- पांच करोड़ तक की योजना: अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव स्तर पर स्वीकृत होगी।
- पांच से 15 करोड़ तक की योजना: विभागीय मंत्री के स्तर पर स्वीकृत होगी।
- 15 से 30 करोड़ तक की योजना: विभागीय मंत्री और वित्त मंत्री स्वीकृत करेंगे।
- 30 करोड़ से अधिक की योजना: राज्य मंत्रिमंडल की स्वीकृति आवश्यक होगी।
वित्तीय संशय दूर करने की पहल
पिछले कुछ समय से विभागों में योजनाओं की स्वीकृति और वित्तीय शक्तियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। योजना एवं गैर-योजना के विलय के बाद इसे लेकर बार-बार मार्गदर्शन मांगा जा रहा था। सरकार ने इस समस्या का स्थायी समाधान करते हुए नई व्यवस्था लागू की है।
स्कीमों की समीक्षा के लिए नई समितियां
योजनाओं की समीक्षा और स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया गया है।
- विभागीय स्थायी वित्त समिति: अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव करेंगे।
- लोक वित्त समिति: विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनेगी।
- प्रशासी पदवर्ग समिति: राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी।
योजनाओं पर तेज निर्णय की उम्मीद
नई व्यवस्था से योजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया में तेजी आएगी और स्पष्टता बनेगी। पांच करोड़ रुपये तक की योजनाओं के लिए विभागीय स्थायी वित्त समिति की समीक्षा आवश्यक होगी, जबकि बड़ी योजनाओं के लिए कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी।
यह कदम न केवल राज्य की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करेगा बल्कि आगामी चुनावों से पहले सरकार की सुदृढ़ नीतियों को भी उजागर करेगा।