नैंसी की ताइवान यात्रा के बाद अमेरिका के इस कदम से ड्रैगन को लगी मिर्ची, क्या चीन देगा युद्ध की धमकी?
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नई दिल्ली, जेएनएन। अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा की आग अभी बुझी नहीं थी कि अमेरिका ने अपने एक प्रतिनिधिमंडल को ताइवान भेजा है। अमेरिका का यह कदम चीन के साथ तनाव को गहरा कर सकता है। हालांकि, अभी तक चीन ने इस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन किस तरह अमेरिका को जबाव देता है। नैंसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन काफी आक्रामक मूड में दिख रहा है। उसने ताइवान के जलडमरूमध्य में सैन्य अभ्यास किया है। चीन की कई मिसाइलें ताइवान और जापान में गिरी हैं। इसका अमेरिका ने बड़ा विरोध किया था। अब यह देखना होगा कि चीन, ताइवान पहुंच रहे इस प्रतिनिधिमंडल पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। इन सारे मामलों में विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में कूटनीतिक जंग तेज हो गई है। नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद यह सिद्ध हो गया है कि अमेरिका उसे खुलकर समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि अब नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद अमेरिका ने गेंद चीन के पाले में डाल दी है। उन्होंने कहा कि इस कूटनीतिक जंग में अभी तक अमेरिका ने बाजी मारी है।
2- प्रो पंत ने कहा कि चीन ने नैंसी पेलोसी की यात्रा को लेकर कहा था कि वह उनके विमान को गिरा देगा, यानी उसने अमेरिका को अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध की धमकी दी थी। नैंसी की यात्रा के बाद चीन की कथनी और करनी में फर्क समझ में आ गया। नैंसी की ताइवान यात्रा को लेकर कूटनीतिक मोर्चे पर चीन की काफी किरकिरी हुई है। चीन के अंदर भी आम नागरिक इस बात से शायद अपमानित होंगे कि चीनी सेना ने जो कहा वह करके नहीं दिखाया।
3- प्रो पंत ने कहा कि अब चीन उस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करेगा, जैसा कि उसने नैंसी की यात्रा के दौरान किया था। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अब वह संतुलित शब्दों का प्रयोग करेगा। यानी संतुलित ढंग से विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि दरसअल, नैंसी की यात्रा के बाद ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका की कूटनीति में बदलाव आया है। चीन, लगातार अमेरिका की अग्निपरीक्षा ले रहा था कि वह इस बात की टोह ले रहा था कि आखिर अमेरिका ताइवान को लेकर कितना संवेदनशील है।
4- प्रो पंत ने कहा कि चीन को अब यह बात समझ में आ गई है कि ताइवान की सुरक्षा को लेकर अमेरिका संकल्पित है। चीन, बाइडन प्रशासन को कमजोर समझने की गलती कर रहा था। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और रूस यूक्रेन युद्ध के बाद चीन का उत्साह बढ़ा हुआ था। यह कहा जा रहा था कि अमेरिका जिस तरह से अफगानिस्तान ने निर्वाचित सरकार को छोड़कर भाग खड़ा हुआ उसी तरह वह ताइवान विवाद से भी किनारा कर लेगा। हालांकि, ताइवान मामले में बाइडन प्रशासन का स्टैंड काफी सख्त था। अमेरिका ने चीन के तमाम विरोध और युद्ध की धमकी के बावजूद नैंसी को ताइवान भेजा।
प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से करेगा मुलाकात, चीन को लगी मिर्ची
अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए ताइवान की सीमा पर मिसाइल, युद्धपोत और कई युद्धक विमान तैनात कर दिया था। ताइवान में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ने बताया कि पांच सदस्यीय टीम का नेतृत्व मैसाचुसेट्स के डेमोक्रेटिक सेन एड मार्के कर रहे हैं। इंस्टीट्यूट ने कहा कि दो दिवसीय दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल ताइवान के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात कर अमेरिका-ताइवान संबंध, क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार, निवेश और अन्य मुद्दों पर चर्चा करेगा। ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि आमेरिकी प्रतिनिधिमंडल सोमवार सुबह साई इंग वेन से मुलाकात करेगा। कार्यालय ने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल ऐसे समय पर ताइवान आया है जब चीन का ताइवान के साथ लगातार तनाव बढ़ रहा है। प्रतिनिधिमंडल का आना ताइवान के लिए अमेरिका के समर्थन को दर्शाता है।