Wheat Mustard New Variety: हरियाणा के कृषि वैज्ञानिकों का कमाल, किसानों के लिए 170 मण गेहूं प्रति एकड़ उपज वाली वैरायटी की विकसित
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मुख्य सचिव आज यहां विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड की 275वीं बैठक में भाग ले रहे थे।
उन्होंने बताया कि ये किस्में उच्च उपज देने वाली और तेल सामग्री से भरपूर होंगी। ये किस्में देश के सरसों उत्पादक राज्यों में तिलहन उत्पादकता बढ़ाने में भी सहायक होंगी। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, जम्मू और उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुआई के लिए सरसों की एक और उन्नत किस्म आरएच-1975 भी विकसित की है।
संजीव कौशल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यूएच-1402 विकसित की है, जो दो सिंचाई और मध्यम उर्वरक में अधिक उपज देती है। इस किस्म की पहचान भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों के लिए की गई है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू और कश्मीर शामिल हैं। इस किस्म की औसत उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज मात्र दो सिंचाई में 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है। इस 1402 किस्म को राष्ट्रीय स्तर पर रेतीले, कम उपजाऊ तथा कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। विश्वविद्यालय ने पिछले 3 वर्षों में 44 किस्मों का विकास और पहचान की है।
संजीव कौशल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक मिलेट्स एवं जैव अपघटन पर बेहतर कार्य करें। साथ ही, अर्बन फार्मिंग तथा इन्क्यूबेशन सेंटर पर भी अध्ययन करें ताकि किसानों को इनका अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि मिलेट्स नागरिकों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें आयरन, प्रोटीन एवं फाइबर अधिक मात्रा में होता है। इसलिए मिलेट्स न्यूट्रीशन क्वालिटी डिलिसियस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नूंह जिले के गांव छपेड़ा गांव में कृषि विश्वविद्यालय का एक नया कृषि विज्ञान केंद्र खोला जाएगा। इस केन्द्र के खुलने से इस क्षेत्र के विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों से मार्गदर्शन मिल सकेगा।
विश्वविद्यालय के वी.सी. बी. आर. कम्बोज ने कहा कि विश्वविद्यालय के बाजरा अनुभाग को बाजरा फसल में उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य के लिए वर्ष 2022-23 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र से भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा सरसों अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। विश्वविद्यालय के बाजरा अनुभाग को लगातार दूसरी बार इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है
श्री कम्बोज ने कहा कि कॉलेज ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में माइक्रोप्रोपेगेशन और डबल हैप्लोइड उत्पादन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रयोगशाला केंद्र में लगभग 20 लाख उच्च गुणवत्ता वाले, रोग मुक्त और आनुवंशिक रूप से समान पौधों का निर्माण किया जा सकेगा। इसके अलावा मधुमक्खी पालन के साथ कृषि और गैर-कृषि परिवारों के लिए आय और रोजगार सृजन के लिए मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से सहयोग लिया गया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की मधुक्रांति योजना का उद्देश्य वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन और विविधीकरण को अपनाकर स्थायी आर्थिक और पोषण सुरक्षा प्राप्त करना है।
बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल के अलावा बोर्ड के सदस्य भी मौजूद रहे।