Surajkund Mela देश-विदेश की संस्कृति, वेशभूषा, गीत-संगीत को प्रदान करता आ रहा है एक मंच

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Surajkund Mela देश-विदेश की संस्कृति, वेशभूषा, गीत-संगीत को प्रदान करता आ रहा है एक मंच 
Surajkund Mela गत 37 वर्षों से देश-विदेश की संस्कृति, वेशभूषा, गीत-संगीत को एक मंच प्रदान करता आ रहा है। प्रति वर्ष 2 फरवरी से 18 फरवरी तक आयोजित होने वाले सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला में विभिन्न कलाकार अपने देश की समृद्ध विरासत को गायन, वाद्यन और नृत्य शैली के माध्यम से मेले में आने वाले सभी पर्यटकों से परिचय करवाते हैं। 

मेला में पधारे सभी पर्यटक देश के विभिन्न प्रदेशों और विदेशी कलाकारों की रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखकर आनंद का अनुभव करने के साथ-साथ सभी कलाकारों का उत्साहवर्धन भी करते हैं। रविवार को 37वें सूरजकुंड मेला के 17वें तथा समापन दिवस के अवसर पर मुख्य चौपाल और छोटी चौपाल पर देशी-विदेशी कलाकारों ने अपनी कलाओं से दर्शकों का मनोरंजन किया।

मेले की मुख्य चौपाल पर 37 वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला के पार्टनर देश तंजानिया के कलाकारों ने वहां के ट्रेडिशनल डांस जान्जिवा की प्रस्तुति से मेले में चार चांद लगा दिए। असम की गुवाहाटी से आए कलाकारों ने रंगाली बिहू डांस की शानदार प्रस्तुति दी। असम में फाल्गुन के महीने में किसान की फसल को काटने के उपरांत रंगाली बिहू नृत्य किया जाता है। 

असम के लोग प्रकृति की सुंदरता के रंग को बिहु नृत्य  द्वारा खुशी मनाकर ज़ाहिर किया करते हैं। इसी प्रकार अफ्रीका के साओ तोमे एंड प्रिन्सिपी से रेजिस दे सेओतोमे ग्रुप ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सोकोपे डांस की बेहतरीन प्रस्तुति दी। किर्गिस्तान के कलाकारों ने नारिस्ते नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। इथोपिया देश के नेशनल ग्रुप ने अपनी गौरव गाथा को नृत्य के माध्यम से सभी दर्शकों के समक्ष रखा। शिल्प मेला की छोटी चौपाल पर दिनभर देशी कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की छटा बिखेरी।

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