सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी किया !

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चंडीगढ़, 1 दिसम्बर, 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में हरियाणा सरकार द्वारा पूर्ण पेंशन के लिए सेवा वर्षों को 28 से घटाकर 20 करने के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (SLP) में नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 21 जनवरी 2025 को होगी।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने 17 अप्रैल 2009 को अधिसूचना जारी कर हरियाणा सिविल सेवा (संशोधित पेंशन) भाग-II नियम, 2009 के तहत पूर्ण पेंशन के लिए 33 वर्षों की सेवा को घटाकर 28 वर्ष कर दिया था। इसके बाद 25 अगस्त 2014 को सरकार ने एक और अधिसूचना जारी कर इस सेवा अवधि को 28 वर्षों से घटाकर 20 वर्ष कर दिया।


इन दोनों अधिसूचनाओं को उन पेंशनभोगियों ने चुनौती दी थी, जो 1 जनवरी 2006 के बाद लेकिन इन अधिसूचनाओं के जारी होने से पहले सेवानिवृत्त हुए थे। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने 19 जुलाई 2024 के अपने फैसले में 2009 के पेंशन नियमों के नियम 8(3) को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया।

हालांकि, 2014 की अधिसूचना, जिसमें सेवा अवधि को 28 से 20 वर्ष किया गया था, को सही ठहराया गया।


याचिकाकर्ताओं के वकील, सुप्रीम कोर्ट के नामचीन अधिवक्ता प्रदीप दहिया, ने तर्क दिया कि पूर्ण पीठ का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के "ऑल मणिपुर पेंशनर्स एसोसिएशन" और "महाराष्ट्र स्टेट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन एक्स-इम्प्लॉइज एसोसिएशन" मामलों में दिए गए निर्णयों के विपरीत है। इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि पेंशनभोगी एक समान वर्ग बनाते हैं और कट-ऑफ तारीख के आधार पर किया गया वर्गीकरण अनुचित और भेदभावपूर्ण है। 
 

अगली सुनवाई: 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए 21 जनवरी 2025 को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की है।

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