News Update: अब जेल में सजा काट रहे कैदियों को सरकार दिलाएगी नौकरी, जानिए कैसे मिलती है कैदियों को कानूनी सहायता
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News Update: जेल में सजा काट रहे कैदियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए बाहर आते ही न केवल प्रशिक्षण दिया जाएगा, बल्कि बैंक से लोन भी दिलवाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत जिला विधिक प्राधिकरण ने यह कदम उठाया है। इसके लिए 30 कैदियों की सूची तैयार की गई है।
वर्ष 1987 में सबको समान न्याय व निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए विशेष कानून बनाया गया था। इसके तहत पूरे देश में जिला विधिक प्राधिकरण का गठन किया गया। नौ नवंबर 1995 को कानून को लागू किया गया, जिसके चलते हर साल राष्ट्रीय विधिक दिवस मनाया जाता है। साथ ही 42वें संशोधन के तहत इसमें निशुल्क कानूनी सहायता का काॅलम 39 ए भी जोड़ा गया।
यूं दी जाती है कानूनी सहायता
जिला विधिक प्राधिकरण की तरफ से तीन साल या इससे कम सालाना आय वाले व्यक्ति को निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। इसमें वकील की फीस, कागजात से लेकर विशेष परिस्थितियों में गवाह तक को भी अदालत तक लाने व छोड़कर आने का खर्च उठाया जाता है। जबकि महिला, 18 साल से कम उम्र बच्चों, प्राकृतिक आपदा पीड़ित, दिव्यांग, एचआईवी संक्रमित, अल्पसंख्यक, सीनियर सिटीजन, बंदी व हवालाती, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति, श्रमिक और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के लिए तीन लाख आय की शर्त भी नहीं है। जिला विधिक प्राधिकरण कार्यालय के हेल्पलाइन नंबर 01262-257408 पर संपर्क किया जा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक हर माह 900 से ज्यादा पात्र व्यक्ति प्राधिकरण से मुफ्त में कानूनी सहायता ले रहे हैं। सेशन जज नीरजा कुलवंत कलसन प्राधिकरण की अध्यक्ष एवं सीजेएम अनिल कौशिक सचिव हैं।
यूं निभाई अहम भूमिका
केस एक : तेलंगाना में दो साल बाद ढूंढ निकाला बुजुर्ग महिला को
शहर की एक बुजुर्ग महिला दो साल पहले ट्रेन में बैठकर तेलंगाना पहुंच गई थी। वह वानापर्थी जिले के एक आश्रम में रह रही थी। जब वहां की सेशन जज एमआर सनोथा ने आश्रम का दौरा किया तो पता चला कि बुजुर्ग महिला हरियाणा के रोहतक की रहने वाली है। वहां से सेशन जज रोहतक को सूचना दी गई। उन्होंने जिला विधिक प्राधिकरण की टीम की ड्यूटी लगाई। प्राधिकरण की टीम परिजनों को साथ लेकर तेलंगाना पहुंची और बुजुर्ग महिला को लेकर आई।
केस दो : कोरोना काल में श्रमिकों को खाना तक उपलब्ध कराया
विधिक प्राधिकरण के वकील राजबीर कश्यप ने बताया कि कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट ने जिला विधिक प्राधिकरण को जरूरतमंदों की सहायता के लिए गाइडलाइन जारी की। इसके तहत जिला विधिक प्राधिकरण के चार वकीलों की टीम बनाई गई। टीम ने अपने स्तर पर समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से श्रमिकों व अन्य जरूरतमंदों को सुविधाएं उपलब्ध कराईं।
केस तीन : जब बंधक बच्चे को छुड़वा कर लाई टीम
कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के साथ-साथ लीगल टीम कार्रवाई भी करती है। सीजेएम एवं जिला विधिक प्राधिकरण की सचिव को सोशल मीडिया पर एक वीडियो दिखा। किशोर को घर के अंदर बंधक बनाया हुआ था। सीजेएम ने तत्काल वकीलों की टीम तैयार की। टीम पुलिस को साथ लेकर मौके पर पहुंची और किशोर को छुड़वाकर लाई।
जिला विधिक प्राधिकरण दो तरह की सहायता उपलब्ध करवाई है। अदालत में चल रहे केसों में पात्र व्यक्तियों को न केवल वकील, बल्कि फीस भी दी जाती है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के तहत भी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। पहली बार बैंक के साथ मिलकर कैदियों के पुनर्वास की योजना बनाई गई है।