Loksabha election: हरियाणा में एक साथ नहीं होंगे लोकसभा और विधानसभा चुनाव, जानिए पूरी खबर

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 हरियाणा में एक साथ नहीं होंगे लोकसभा और विधानसभा चुनाव
 

भाजपा इसी महीने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर क्षेत्रवार ऑफिस खोलने जा रही है। ग्राउंड जीरो से फीडबैक जुटाने के लिए कुछ नेताओं की ड्यूटी लगाने के निर्देश भी दिल्ली से आ चुके हैं। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश संगठन को 2019 की तरह इस बार भी राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने का टारगेट दिया है।

BJP हाईकमान ने हरियाणा के पार्टी नेताओं को एक झटका भी दे दिया है। अलग-अलग लेवल से मिले फीडबैक के बाद केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के हक में नहीं है। उसने हरियाणा के नेताओं को सिर्फ लोकसभा चुनाव पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं।

BJP हाईकमान के इन निर्देशों के बाद अब हरियाणा सरकार और संगठन ने अपना पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर लगा दिया है। पार्टी की हरियाणा इकाई ने तय किया है कि वह सितंबर-अक्टूबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारी भी साथ-साथ करेगी। ऐसे में अगर किसी वजह से दोनों चुनाव एक साथ कराने की नौबत आ भी जाती है तो उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।

कोर कमेटी में उठा था चुनाव एक साथ कराने का मुद्दा
पिछले हफ्ते हरियाणा दौरे पर आए BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा के सामने हरियाणा के नेताओं ने लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के पक्ष में अपनी राय रखी। पांडा की अध्यक्षता में हुई हरियाणा कोर ग्रुप की मीटिंग में भी दोनों चुनाव एक साथ करवाने का मुद्दा उठा।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरियाणा के नेताओं का फीडबैक लेकर दिल्ली पहुंचने के बाद केंद्रीय हाईकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि एक साथ चुनाव संभव नहीं हैं।

केंद्र सरकार-RSS करवा रहे अलग-अलग सर्वे
हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग लेवल पर अलग-अलग एजेंसियों से सर्वे करवाए जा रहे हैं। ग्राउंड रियल्टी जानने के लिए एक दौर का सर्वे पहले भी कराया गया था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद हालात बदले हैं। ऐसे में अब नए सिरे से सर्वे करवाया जा रहा है।

इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों से जुड़ा अपना फीडबैक पार्टी को देगा।

हरियाणा के नेताओं की भी एकराय नहीं
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर हरियाणा BJP के नेताओं के सुर भी अलग-अलग हैं। पंचकूला में हुई हरियाणा BJP की कोर कमेटी की मीटिंग में भी इस पर आम सहमति नहीं बन पाई थी।

सरकार में शामिल नेताओं और प्रदेश BJP से जुड़े ज्यादातर पदाधिकारियों का मानना था कि इसी साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के साथ ही प्रदेश विधानसभा के चुनाव करवा लेने चाहिए।

दूसरी ओर हरियाणा के ज्यादातर लोकसभा सांसद इस विचार से सहमत नहीं थे। उनका तर्क है कि 2019 की तरह इस बार भी पार्टी हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत सकती है लेकिन विधानसभा चुनाव साथ कराने की सूरत में नतीजे शायद ऐसे न आ पाएं।

सांसदों का तर्क है कि साढ़े 9 साल से लगातार सत्ता में रहने के कारण प्रदेश के लोगों में राज्य सरकार के प्रति नाराजगी और एंटी-इनकंबेंसी है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को लेकर लोगों में कोई नाराजगी नहीं है। इसलिए लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने का रिस्क नहीं लेना चाहिए।

भाजपा इसी महीने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर क्षेत्रवार ऑफिस खोलने जा रही है। ग्राउंड जीरो से फीडबैक जुटाने के लिए कुछ नेताओं की ड्यूटी लगाने के निर्देश भी दिल्ली से आ चुके हैं। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश संगठन को 2019 की तरह इस बार भी राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने का टारगेट दिया है।

BJP हाईकमान ने हरियाणा के पार्टी नेताओं को एक झटका भी दे दिया है। अलग-अलग लेवल से मिले फीडबैक के बाद केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के हक में नहीं है। उसने हरियाणा के नेताओं को सिर्फ लोकसभा चुनाव पर फोकस करने के निर्देश दिए हैं।

BJP हाईकमान के इन निर्देशों के बाद अब हरियाणा सरकार और संगठन ने अपना पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर लगा दिया है। पार्टी की हरियाणा इकाई ने तय किया है कि वह सितंबर-अक्टूबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारी भी साथ-साथ करेगी। ऐसे में अगर किसी वजह से दोनों चुनाव एक साथ कराने की नौबत आ भी जाती है तो उसे किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।

कोर कमेटी में उठा था चुनाव एक साथ कराने का मुद्दा
पिछले हफ्ते हरियाणा दौरे पर आए BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा के सामने हरियाणा के नेताओं ने लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के पक्ष में अपनी राय रखी। पांडा की अध्यक्षता में हुई हरियाणा कोर ग्रुप की मीटिंग में भी दोनों चुनाव एक साथ करवाने का मुद्दा उठा।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरियाणा के नेताओं का फीडबैक लेकर दिल्ली पहुंचने के बाद केंद्रीय हाईकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि एक साथ चुनाव संभव नहीं हैं।

केंद्र सरकार-RSS करवा रहे अलग-अलग सर्वे
हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग लेवल पर अलग-अलग एजेंसियों से सर्वे करवाए जा रहे हैं। ग्राउंड रियल्टी जानने के लिए एक दौर का सर्वे पहले भी कराया गया था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद हालात बदले हैं। ऐसे में अब नए सिरे से सर्वे करवाया जा रहा है।

इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों से जुड़ा अपना फीडबैक पार्टी को देगा।

हरियाणा के नेताओं की भी एकराय नहीं
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर हरियाणा BJP के नेताओं के सुर भी अलग-अलग हैं। पंचकूला में हुई हरियाणा BJP की कोर कमेटी की मीटिंग में भी इस पर आम सहमति नहीं बन पाई थी।

सरकार में शामिल नेताओं और प्रदेश BJP से जुड़े ज्यादातर पदाधिकारियों का मानना था कि इसी साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के साथ ही प्रदेश विधानसभा के चुनाव करवा लेने चाहिए।

दूसरी ओर हरियाणा के ज्यादातर लोकसभा सांसद इस विचार से सहमत नहीं थे। उनका तर्क है कि 2019 की तरह इस बार भी पार्टी हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत सकती है लेकिन विधानसभा चुनाव साथ कराने की सूरत में नतीजे शायद ऐसे न आ पाएं।

सांसदों का तर्क है कि साढ़े 9 साल से लगातार सत्ता में रहने के कारण प्रदेश के लोगों में राज्य सरकार के प्रति नाराजगी और एंटी-इनकंबेंसी है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को लेकर लोगों में कोई नाराजगी नहीं है। इसलिए लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने का रिस्क नहीं लेना चाहिए।

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