Kumari Selja Interview: हरियाणा की कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा का INDIA गठबंधन को लेकर बड़ा बयान, जानिए क्या कहा
₹64.73
प्रश्न : कांग्रेस संदेश यात्रा ने 30 प्रतिशत हरियाणा कवर कर लिया है, आपको कैसा रेस्पॉन्स मिला?
उत्तर : बेहद अच्छा रेस्पॉन्स है। लोग भारतीय जनता पार्टी से ऊब चुके हैं। लोग खुद कह रहे हैं कि केंद्र की राजनीति उन्होंने देख ली। हर चुनाव में नई जुमलेबाजी आ जाती है। लोग आगे आकर बता रहे हैं कि हरियाणा में भाजपा की नीतियां कैसी हैं, बेरोजगार बढ़ते जा रहे हैं। सरकारी नौकरी निकालते नहीं, एससी बीसी का बैकलॉग भरा नहीं जाता। किसी नौकरी की परीक्षा हो तो पेपर लीक हो जाते हैं। घोटाले पर घोटाले, भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार। किसी नौकरी की प्रक्रिया नियुक्त पत्र जारी होने तक पहुंच भी जाएं तो फिर ज्वाइनिंग रूकवाने के लिए कोर्ट में केस करा दिए जाते हैं। केंद्र सरकार की ओर से कोई डायरेक्शन नहीं मिलती। राज्य सरकार दिशाहीन है। रोज फैसले लेते हैं, फिर वापस ले लेते हैं। न शिक्षा नीति है। सरकारी स्कूल बंद किए जा रहे हैं, क्योंकि इनमें गरीब का बच्चा पढ़ता है। सब कुछ प्राइवेट सेक्टर को देना चाहते हैं।
प्रश्न : राम मंदिर पर आपका नजरिया कैसा है?
उत्तर : इनको तो राम अब मिले हैं, हमारे घरों में तो दिन की शुरुआत भी राम-राम या जय रामजी से होती है। बचपन से राम का नाम लेते आए हैं। इन्होंने तो चुनावी फायदे के चक्कर में मंदिर का मामला छेड़ा है। उसको ऐसे दिखा रहे हैं, जैसे भाजपा-आरएसएस का निजी मामला हो। भगवान राम का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रश्न : यात्रा के दौरान कोई ऐसा स्पेशल मुद्दा जो लोगों ने आगे बढ़कर बताया हो?
उत्तर : बिल्कुल, जीटी रोड बेल्ट में बेरोजगारी का ये आलम है कि गांव के गांव पलायन कर रहे हैं। नौकरी के लिए युवा विदेशों में जा रहे हैं। जैसे-तैसे अवैध तरीके से भी। विदेश के एक शहर में हम पिछले दिनों थे, वहां हमें बताया गया कि उस शहर में हरियाणा के अवैध तौर से रहने वाले बच्चे एक लाख हैं। यहां उन्हें अपना भविष्य नजर नहीं आता। इसलिए विदेश जाने के लिए जमीन बेचेंगे, जिंदगी दांव पर लगाएंगे। जगह-जगह आईलेट्स की दुकानें खुल गई हैं। सरकारी नौकरियां निकलें भी तो बाहर के लोगों को दे दी जाती हैं। 10 साल से जो भी गलत हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी कोई जिम्मेदारी नहीं ले पा रहा है। मुख्यमंत्री जी को जो अफसर बता देते हैं, वही उन्हें ठीक लगता है।
प्रश्न : प्रदेश सरकार को 10 में से कितने नंबर देंगे?
उत्तर : भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार, घोटाले पर घोटाले। बेरोजगारी का रिकॉर्ड देख लीजिए। सीएमआईई का डेटा बताता है सबसे ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा में है, लेकिन ये इन आंकड़ों को नहीं मानते। जबकि, यूपी में इनकी सरकार उन आंकड़ों पर चुनाव में जनता से वोट मांगती है। अपराध का हाल देख लीजिए, एनसीआरबी के आंकड़े सब बता देते हैं। कोई नंबर नहीं, माइनस में कोई ऑप्शन हो तो सोचा जा सकता है।
प्रश्न : राहुल गांधी की यात्रा पर हमला हुआ, उनके ही खिलाफ एफआईआर हुई। कांग्रेस संदेश यात्रा की सुरक्षा को लेकर आप संतुष्ट हैं?
उत्तर : हमें और राहुल जी को इन सब कृत्यों से कोई फर्क नहीं पड़ता। राहुल जी का नारा है : डरो मत, झुको मत। लाठीचार्ज किया गया हमारे वर्करों पर। सुरक्षा दें, न दें, लोगों की सेवा में हमें अपना काम करते जाना है।
प्रश्न : आपने बड़ा दिल दिखाते हुए दीपक बाबरिया, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उदयभान के फोटो अपने कार्यक्रम शेड्यूल में लगाने शुरू कर दिए हैं, जबकि वे यात्रा को रूकवाने की हरसंभव कोशिश कर रहे थे। क्या आपको लगता है, उन्हें भी बड़ा दिल दिखाते हुए यात्रा का हिस्सा बनना चाहिए?
उत्तर : सभी की अपनी-अपनी बात होती है। हम तो कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं। कांग्रेस के लिए हमेशा काम किया, कांग्रेस की सेवा में हमेशा रहे। यहीं पैदा हुए। यहीं आखिरी दम तक लोगों की सेवा कांग्रेस के माध्यम से करनी है। अच्छा रहता है अगर सब लोग सेवाभाव को पार्टी के अंदर आज से लेकर चलें। हर तरह के लोग हैं पार्टी में, सभी को परिवार का हिस्सा मानना चाहिए। कोई कम करता है, कोई ज्यादा करता है। लेकिन, ये नहीं होना चाहिए कि कुछ लोगों को दरकिनार कर दें।
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि कांग्रेस को हरियाणा में किसी पार्टी को इंडिया गठबंधन में जोड़ना चाहिए।
उत्तर : सेंट्रल लीडरशिप इसका फैसला करती है। अगर उनको लगेगा कि कुछ प्रतिशत वोट और बढ़ाने चाहिएं, जोड़ने हैं तो उनका अंतिम फैसला हमें मानना चाहिए। क्योंकि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व हरियाणा के हित में ही फैसला करना चाहेगा, ये सभी को मानना चाहिए।
प्रश्न : छत्तीसगढ़ की आप प्रभारी थी, हर कोई वहां कांग्रेस के रिपीट होने को आश्वस्त था, लेकिन परिणाम विपरित आया। क्या इसमें ईवीएम का कोई रोल हो सकता है?
उत्तर : ईवीएम पर बहुत सवाल उठे तो हैं, कई चीजों का जवाब भी नहीं मिल पाया है। कोर्ट में भी मामला गया, कुछ बातें खारिज भी हुई। कुछ लोगों का मानना है कि सही ढंग से सबूतों को वहां पर नहीं रखा गया। हम तो लोकतंत्र में यही सोचते हैं कि जब दूसरों देशों ने इसे शुरू किया था तो मामला ठीकठाक था। लेकिन, आज सवालिया निशान उठ रहे हैं। बड़े-बड़े विकसित देश भी ईवीएम नहीं अपना रहे हैं। लेकिन, हमारे यहां इनकी की जो खामियां हैं, त्रुटियां हैं, उनको न देखते हुए इलेक्शन कमीशन इनको प्रयोग कर रहा है। इसलिए हमें आज ईवीएम की ओर न जाकर अपनी बात लोकतंत्र में विश्वास रखते हुए लोगों के दरबार में ही रखनी चाहिए। ताकि, लोग खुद इन चीजों की निगरानी करें।
- अजय दीप लाठर