Haryana News: हरियाणा के सिरसा विधायक गोपाल कांडा ने पाली 5 पुंगनूर गाय, जानिए कितना देती है दूध ?
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गौरतलब हो कि गत इस मकर संक्रांति की शुभ बेला पर पीएम नरेंद्र मोदी छोटी-छोटी गायों से घिरे नजर आए थे। प्रधानमंत्री के आवास के इस दृश्य की तस्वीरों को जिसने भी देखा वह मंत्रमुग्ध हो गया, क्योंकि यह गौ सेवा की बेहतरीन तस्वीरें थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विलुप्त हो रही पुंगनूर नस्ल की गाय की सेवा करके इसके संरक्षण की सद्प्रेरणा दी थी। तभी गोपाल कांडा ने प्रण कर लिया था कि वे भी पुंगनूर गायों का पालन कर उनकी सेवा क रेंगे। इसके साथ ही उन्होंने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में संपर्क किया।
पुंगनूर गाय सफेद और हल्के भूरे रंग की होती है। जिनका माथा काफी चौड़ा और सींग छोटे होते हैं। पुंगनूर गाय की औसत ऊंचाई ढाई फीट से तीन फीट के बीच होती है। वहीं, इस गाय का अधिकतम वजन 105 से 200 किलोग्राम तक होता है। इनके दूध में कई औषधीय गुण भी होते हैं। इन गायों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। पुंगनूर गाय के दूध की खास बात यह है कि इसमें 08 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है। जबकि अन्य गाय के दूध में फैट केवल 03 से 05 प्रतिशत ही फैट होता है। विश्व विख्यात भगवान तिरुपति बालाजी का अभिषेक और प्रसाद इसी नस्ल के दूध से होता रहा है। ये देश में विलुप्त होती नस्लों में शामिल है। देश में इन गायों की संख्या सिर्फ 1000 के आसपास ही रह गई है।
भगवद कृपा से पांच पुंगनूर गाय की सेवा और पालन का अवसर मिला है। वैदिक काल में महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र अपने गुरुकुल में पुंगनूर को रखा करते थे। अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन से कई दुर्लभ चीजें निकली थीं उनमें से एक सुरभि गाय थी। सुरभि गाय को वेद पुराणों में कामधेनु भी कहा गया है। आंध्र प्रदेश वासी मानते हैं कि पुंगनूर ही उस सुरभि गाय का स्वरूप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विलुप्त हो रही पुंगनूर गाय की सेवा करके इसके संरक्षण की सद्प्रेरणा दी।
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर इलाके यह गाय पाई जाती है, जिसके कारण इसका नाम पुंगनूर रखा गया। देखने में यह छोटी होती है। विधायक गोपाल कांडा ने कहा कि गौवंश सेवा, धर्मसेवा, जनसेवा का संस्कार उन्हें विरासत में मिला है, उनके पिता स्व. मुरलीधर कांडा एडवोकेट और माता स्व. राधादेवी कांडा स्वयं गौभक्त थे, उनके पिता ने गौसरंक्षण आंदोलन में भाग लिया और जेल तक गए। उनका परिवार आज भी गौसेवा में लगा हुआ है। जिला की गौशालों में समय समय पर चारे के लिए उनकी ओर से आर्थिक सहयोग दिया जाता है। वे मानते है कि गौवंश की सेवा से बढक़र कोई कार्य नहीं...