Haryana News: पहलवान विनेश फोगाट का बड़ा ऐलान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी

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रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के विवाद में रेसलर विनेश फोगाट ने खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है। विनेश ने पीएम के नाम दो पेज का लेटर पोस्ट किया है।

इसमें लिखा- हमारे मेडल्स-अवॉर्ड्स को 15 रुपए का बताया जा रहा है। अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन आने लगी है। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गया था, जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है।

हर महिला सम्मान से जिंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड आपको वापस करना चाहती हूं ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।

सोशल मीडिया पर विनेश ने कहा कि इस हालत में पहुंचाने के लिए ताकतवर का बहुत-बहुत धन्यवाद।

पहले बजरंग पूनिया पद्मश्री लौटा चुके हैं। वहीं साक्षी मलिक कुश्ती संघ से संन्यास का ऐलान कर चुकी है। हालांकि इसके बाद केंद्र सरकार ने कुश्ती फेडरेशन की नई चुनी कार्यकारिणी को भंग कर दिया था।

 

विनेश फोगाट की PM को लिखी चिट्‌ठी की अहम बातें...

प्रधानमंत्री जी, अपना हाल बताने को पत्र लिख रही हूं
साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है।

देश के लिए ओलिंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिए मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आप तक भी यह मामला पहुंचा होगा. प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं, यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं।

क्या हम विज्ञापनों में छपने के लिए हैं
मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलिंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" की ब्रांड ऐंबैस्डर बनाया था.

जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं।

आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी, तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं।

हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज़ नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है. मैंने ओलिंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना ज़रूर पूरा हो।

शोषणकर्ता ने दबदबे की मुनादी की, 5 मिनट निकाल बयान सुनिए
पर हमारी जिंदगी उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है। कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है, उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट-घुट कर जी रही हैं।

आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है। जो शोषणकर्ता है, उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीके से नारे भी लगवाए हैं।

आप अपनी जिंदगी के सिर्फ 5 मिनट निकालकर उस आदमी के मीडिया में दिए गए बयानों को सुन लीजिए, आपको पता लग जाएगा कि उसने क्या क्या किया है।

उसने महिला पहलवानों को मंथरा बताया है, महिला पहलवानों को असहज कर देने की बात सरेआम टीवी पर कबूली है और हम महिला खिलाड़ियों को जलील करने का एक मौक़ा भी नहीं छोड़ा है.

उससे ज़्यादा गंभीर यह है कि उसने कितनी ही महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. यह बहुत भयावह है।

हमारे मेडल 15 रुपए के बताए जा रहे
कई बार इस सारे घटनाक्रम को भूल जाने का प्रयास भी किया लेकिन इतना आसान नहीं है।

सर, जब मैं आपसे मिली तो यह सब आपको भी बताया था। हम न्याय के लिए पिछले एक साल से सड़कों पर घिसड़ रहे हैं।

कोई हमारी सुध नहीं ले रहा।सर, हमारे मेडलों और अवार्डों को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं। जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बताया।

क्या हम देशद्रोही हैं, मैं अंदर ही अंदर घुट रही
अब जब अपने न्याय के लिए आवाज़ उठायी तो हमें देशद्रोही बताया जा रहा है।

प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या हम देशद्रोही हैं?।

बजरंग ने किस हालत में अपना पद्मश्री वापस लौटाने का फ़ैसला लिया होगा, मुझे नहीं पता।

पर मैं उसकी वह फोटो देखकर अंदर ही अंदर घुट रही हूँ। उसके बाद अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन आने लगी है।

जब ये पुरस्कार मुझे मिले थे तो मेरी मां ने हमारे पड़ोस में मिठाई बांटी थी और मेरी काकी ताइयों को बताया था कि विनेश की टीवी में खबर आयी है उसे देखना। मेरी बेटी पुरस्कार लेते हुए कितनी सुंदर लग रही है।

पुरस्कारों का अब कोई मतलब नहीं रह गया
कई बार यह सोचकर घबरा जाती हूं कि अब जब मेरी काकी ताई टीवी में हमारी हालत देखती होंगी तो वह मेरी मां को क्या कहती होंगी?

भारत की कोई मां नहीं चाहेगी कि उसकी बेटी की यह हालत हो। अब मैं पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूं, क्योंकि वह सपना था और जो अब हमारे साथ हो रहा है वह हकीकत।

मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गया था जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है।

हर महिला सम्मान से ज़िंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड आपको वापस करना चाहती हूँ

ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।

पढ़िए विनेश की चिट्‌ठी..

रविवार को खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को सस्पेंड किया
पिछले 11 महीनों से विवादों में घिरी रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) की नई बॉडी को खेल मंत्रालय ने रविवार 24 दिसंबर को सस्पेंड कर दिया था।

 

खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) से रेसलिंग फेडरेशन के मामलों के मैनेजमेंट के लिए एडहॉक कमेटी बनाने को कहा है।

21 दिसंबर को ही WFI के चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह नए प्रेसिडेंट बने थे।

नए अध्यक्ष की जीत के बाद WFI ने 28 दिसंबर से उत्तर प्रदेश के गोंडा में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप टूर्नामेंट करने की घोषणा की थी।

गोंडा भाजपा सांसद बृजभूषण का संसदीय क्षेत्र है। रेसलर्स ने बृजभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। खेल मंत्रालय के WFI की नई टीम पर कार्रवाई के पीछे इसी को वजह माना जा रहा है।

WFI की पिछली बॉडी में बृजभूषण के अध्यक्ष रहते संजय सिंह जॉइंट सेक्रेटरी थे।

संजय सिंह चुनाव में कॉमनवेल्थ चैंपियन अनीता सिंह श्योराण को हराकर नए अध्यक्ष बने थे।

संजय की जीत के बाद बृजभूषण के बेटे ने कहा था कि हमारा दबदबा पहले था और आगे भी रहेगा।

हाथ में पोस्टर लिए WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह। संजय सिंह की जीत के बाद उन्होंने पोस्टर लहराया। इसमें लिखा है- 'दबदबा है, दबदबा रहेगा।

हाथ में पोस्टर लिए WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह। संजय सिंह की जीत के बाद उन्होंने पोस्टर लहराया। इसमें लिखा है- 'दबदबा है, दबदबा रहेगा।

अगले आदेश तक IOA देखेगा WFI का मैनेजमेंट - खेल मंत्रालय
खेल मंत्रालय ने IOA प्रेसिडेंट को लेटर दिया है, जिसमें कहा है कि WFI के मामलों को नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड के मुताबिक नियंत्रित किया जाए।

अगले आदेश तक IOA खिलाड़ियों की एंट्रीज, सिलेक्शन, इंटरनेशनल इवेंट्स और स्पोर्ट्स एक्टिविटी सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी निभाए।

मंत्रालय ने आगे कहा कि रेसलिंग ओलिंपिक स्पोर्ट है और फेडरेशन IOA का मेंबर है। WFI के पूर्व पदाधिकारियों का अब भी कंट्रोल होने की वजह से फेडरेशन में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। इस कारण IOA को एडहॉक कमेटी बनाने के लिए कहा गया है।

साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की थी

21 दिसंबर को संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद साक्षी मलिक ने अपने जूते मीडिया के सामने टेबल पर रखे और कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया।

21 दिसंबर को संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद साक्षी मलिक ने अपने जूते मीडिया के सामने टेबल पर रखे और कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया।

साक्षी मलिक ने भी गोंडा में टूर्नामेंट कराए जाने को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा- मैंने कुश्ती छोड़ दी है पर कल रात से परेशान हूं।
 

वे जूनियर महिला पहलवान क्या करें जो मुझे फोन करके बता रही हैं कि दीदी इस 28 तारीख से जूनियर नेशनल होने हैं और वो नई कुश्ती फेडरेशन ने नन्दनी नगर गोंडा में करवाने का फैसला लिया है।

WFI के चुनाव में संजय सिंह के अध्यक्ष चुने जाने से बृजभूषण के खिलाफ धरना देने वाले रेसलर नाखुश थे। दिल्ली में गुरुवार शाम को रेसलर बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान साक्षी मलिक भावुक हो गईं और कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने अपने जूते उतारकर टेबल पर रख दिए और वहां से उठकर चली गईं।

बजरंग पुनिया ने पद्मश्री लौटाया, PM के घर के बाहर रख आए अवॉर्ड

पहलवान बजरंग पूनिया ने 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्‌ठी लिखकर पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया था।

पहलवान बजरंग पूनिया ने 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्‌ठी लिखकर पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया था।

संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद पहलवान बजरंग पूनिया ने 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया के जरिए चिट्‌ठी लिखकर पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया। बजरंग पूनिया ने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है।

इस चिट्‌ठी में बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर बृजभूषण के करीबी संजय सिंह की जीत का विरोध जताया। बजरंग अवॉर्ड लौटाने प्रधानमंत्री आवास पर गए थे, लेकिन अंदर जाने की परमिशन नहीं मिली तो उन्होंने अवॉर्ड वहीं फुटपाथ पर रख दिया।

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