Haryana Bjp : हरियाणा बीजेपी हुई दोफाड़ !, जानिए पूरी खबर
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शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे के बाद, पंचकूला में हुई हरियाणा भाजपा की कोर कमेटी की मीटिंग में इसे लेकर आम सहमति नहीं बन पाई।
मीटिंग के दौरान राज्य सरकार में शामिल नेता और BJP की प्रदेश इकाई से जुड़े पदाधिकारियों का मानना था
कि इसी साल अप्रैल और मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के साथ ही प्रदेश विधानसभा के चुनाव भी करवा लिए जाएं, लेकिन हरियाणा के लोकसभा सांसद इसके हक में नहीं हैं। उन्होंने इस विचार पर आपत्ति जताई है।
हरियाणा विधानसभा के चुनाव इसी साल अक्टूबर में प्रस्तावित हैं। हरियाणा BJP के ज्यादातर नेता चाहते हैं
कि लोकसभा चुनाव के 6 महीने बाद, दोबारा जनता के बीच जाकर वोट मांगने की जगह दोनों चुनाव एक साथ करवा लिए जाएं। इसके लिए सरकार मौजूदा विधानसभा को तय समय से पहले भंग करने की सिफारिश कर सकती है।
दोनों चुनाव साथ कराने के पक्ष में 4 फैक्टर
1. तीन राज्यों की जीत से मोमेंटम BJP के पक्ष में
भाजपा को हाल ही में 3 राज्यों- राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत मिली है।
इन तीनों ही राज्यों में 'मोदी मैजिक' जमकर चला। ऐसे में BJP की हरियाणा इकाई को लगता है कि हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों में मिली जीत से पार्टी के पक्ष में जो मोमेंटम बना है,
उसका फायदा यहां भी मिल सकता है। हरियाणा भी इन तीनों राज्यों की तरह हिंदी स्टेट है।
2. PM के चेहरे का फायदा
भाजपा ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में CM चेहरे के रूप में किसी नेता को प्रोजेक्ट नहीं किया।
मध्यप्रदेश में तो 18 साल से सरकार चला रहे शिवराज चौहान की भी पार्टी ने इस मामले में अनदेखी कर दी।
तीनों राज्यों में BJP ने सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को फ्रंट पर रखा। खुद PM मोदी ने अपनी सभाओं में लोगों से कहा, ‘आप कमल (BJP का चुनाव चिन्ह) को वोट दें। आपका ये वोट सीधे मुझे आएगा।’
हरियाणा के भाजपा नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव में चूंकि नरेंद्र मोदी ही चेहरा होंगे, इसलिए उन्हीं के बहाने विधानसभा के लिए भी वोट मिल जाएंगे।
3. 10 साल की एंटी-इनकंबेंसी का डर
हरियाणा में पार्टी 10 साल से सत्ता में है और इसी कारण प्रदेश BJP के नेता टेंशन में हैं।
दरअसल, लंबे समय से सत्ता में होने के कारण एंटी इनकंबेंसी का खतरा ज्यादा है।
हरियाणा में BJP को 2019 में ही एंटी इनकंबेंसी का झटका लग गया था।
उस समय ‘अबकी बार-70 पार’ का नारा लेकर चुनाव में उतरी पार्टी अपने बूते पूर्ण बहुमत तक हासिल नहीं कर पाई थी। नतीजा- उसे 10 सीटें जीतने वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ राज बांटना पड़ गया।
भाजपा इस बार अपने बूते पूर्ण बहुमत पाना चाहती है, लेकिन 10 साल की एंटी इनकंबेंसी इसमें बड़ा रोड़ा दिख रही है।
इससे पार पाने के लिए हरियाणा BJP के नेता लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाना चाहते हैं, क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार से लोगों में कोई खास नाराजगी नहीं है।
4. कांग्रेस को पटखनी देना आसान
हरियाणा में अगर लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव होते हैं तो यह कांग्रेस के लिए झटका होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने बेशक कांग्रेस के पास नेशनल लेवल पर कोई बड़ा चेहरा नहीं है, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस के पास कई मजबूत चेहरे हैं।
दोनों चुनाव साथ कराने की सूरत में कांग्रेस को राज्य में ये चेहरे ज्यादा फायदा दिला पाएंगे, इसमें संदेह है।
सांसद बोले- इस दफा राज्य सरकार को लेकर 2019 से ज्यादा नाराजगी
हरियाणा भाजपा की इन तमाम दलीलों का पार्टी के लोकसभा सांसद विरोध कर रहे हैं।
सांसदों का तर्क है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन उसके महज 6 महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।
उनके अनुसार, पिछले साढ़े 4 सालों में प्रदेश के लोगों में राज्य सरकार के प्रति नाराजगी और एंटी-इनकंबेंसी बढ़ी है।
लोकसभा चुनाव में BJP इस बार भी राज्य की सभी 10 सीटें जीत सकती है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर किसी तरह की नाराजगी का भाव जनता में नहीं है,
लेकिन अगर विधानसभा चुनाव साथ कराए गए तो मौजूदा विधायकों-मंत्रियों से नाराज लोग उन्हें भी अपने गुस्से का शिकार बना सकते हैं।
इन सांसदों ने कोर कमेटी की मीटिंग में स्पष्ट कर दिया कि वह लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के पक्ष में नहीं हैं।
मीटिंग में ये नेता भी रहे मौजूद
हरियाणा भाजपा की कोर कमेटी की मीटिंग में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, डिप्टी स्पीकर रणवीर गंगवा के साथ-साथ कैबिनेट मंत्रियों में जेपी दलाल, कंवरपाल गुर्जर, डॉ. कमल गुप्ता व डॉ. बनवारी लाल भी मौजूद रहे।
इनके अलावा राज्यसभा सांसद कृष्णलाल पंवार, पूर्व अध्यक्ष सुभाष बराला, मनीष ग्रोवर, कृष्ण बेदी, प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट वेदपाल, बंतो कटारिया, हरपाल सिंह चीका, अमरपाल राणा भी बैठक में शामिल हुए।