Astro Update: जानिए मौनी अमावस्या के लिए क्या लिखा है पुराणों में, इस दिन क्यों रखा जाता है मौन व्रत

₹64.73
Astro Update: जानिए मौनी अमावस्या के लिए क्या लिखा है पुराणों में, इस दिन क्यों रखा जाता है मौन व्रत

Astro Update: माघ महीने की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या कहते हैं। पुराणों में इस तिथि पर मौन व्रत करने का भी विधान बताया गया है। इस दिन को अक्षय पुण्य देने वाला माना गया है। ग्रंथों के मुताबिक इस दिन प्रयागराज या किसी तीर्थ में किए गए स्नान और दान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है।

मौन व्रत और मनु की उत्पत्ति होने के कारण इसे कहा गया मौनी अमावस्या
इस दिन मौन रहना चाहिए। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है, इसलिए मौन रहकर इस व्रत को करने से मुनि पद मिलता है। इस दिन मौन रहकर प्रयाग संगम या किसी भी पवित्र नदी में नहाना चाहिए।

इस तिथि के लिए ये भी माना जाता है कि इस दिन ब्रह्माजी ने स्वयंभुव मनु को उत्पन्न कर सृष्टि बनाने का काम शुरू किया था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहते हैं।

मौनी अमावस्या के लिए क्या लिखा है पुराणों में
पद्म पुराण के मुताबिक माघ महीने की अमावस्या को सूरज उगने से पहले तिल और जल से पितरों का तर्पण करने से स्वर्ग में अक्षय सुख मिलता है। इस दिन तिल की गाय बनाकर दान करने से सात जन्मों के पाप खत्म होते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन या जरुरतमंद को खाना खिलाने से भी स्वर्ग का सुख मिलता है। अनाज और कपड़ों का दान करने से लक्ष्मी खुश होती हैं।

स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन किए गए तीर्थ स्नान और दान से अक्षय पुण्य मिलता है। वहीं, महाभारत का कहना है कि मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम में स्नान करने से करोड़ों तीर्थो में स्नान करने जितना पुण्य मिलता है।

इस दिन क्यों रखा जाता है मौन व्रत
मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और पितरों को तर्पण करने से भी अधिक महत्व मौन धारण कर पूजा-उपासना करने का है, जिसका कई गुना पुण्य फल मिलता है।

खासतौर से मौन साधना जहां मन को नियंत्रित करने के लिए होती है, वहीं इसे करने से वाक् शक्ति भी बढ़ती है। पंडितों का कहना है कि जिन लोगों के लिए पूरा दिन मौन धारण करना मुश्किल है वे सवा घंटे का भी मौन व्रत रख लें, तो उनके विकार नष्ट होंगे और एक नई ऊर्जा मिलेगी।

इसलिए कुछ समय मौन अवश्य रखना चाहिए। मौन रहने से हमारे मन व वाणी में ऊर्जा का संचय होता है। इस दिन अपशब्द नहीं बोलें। मौन रहकर ईश्वर का मानसिक जाप करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है।

श्राद्ध करने और पीपल में जल चढ़ाने का विधान
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं इसलिए माघ महीने की मौनी अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है। जिससे पितृ दोष में राहत मिलती है।

इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करना चाहिए। पीपल को अर्पित किया गया जल देवों और पितरों को ही अर्पित होता है। इसकी वजह ये है कि पीपल में भगवान विष्णु और पितृदेव विराजते हैं। इस दिन पीपल का पौधा रोपा जाना मंगलकारी होता है। पीपल की पूजा-अर्चना करने से कई गुना फल मिलता है।
 

Tags

Share this story

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now