वाराणसी, Bharat 9। एसआइटी (विशेष अनुसंधान दल) ने अब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से बीएड की प्रवेश सूची तलब की है। वर्ष 2004 से 2014 तक विश्वविद्यालय व संबद्ध कालेजों में बीएड में दाखिला लेने वाले छात्रों का नाम,पिता का नाम सहित अन्य जानकारी मांगी है। इससे पहले एसआइटी ने बीएड के दस वर्षों का परीक्षा रिकार्ड मांगा था।
विश्वविद्यालय एसआइटी को बीएड वर्ष 2004 से 2014 तक की परीक्षा का टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) व कंप्यूटर में दर्ज रिकार्ड छाया प्रति सौंप चुकी है। परीक्षा रिकार्ड सौंपने गत दिनों विश्वविद्यालय से दो कर्मचारी लखनऊ भी गए थे। एसआइटी इंस्पेक्टर ने लखनऊ में उनका बयान भी दर्ज किया। एसआइटी अब तक विश्वविद्यालय के दर्जनभर अधिकारियों व कर्मचारियों का बयान दर्ज कर चुकी है। वहीं मोबाइल फोन के माध्यम से एसआइटी के इंस्पेक्टर वीके सिंह अंकपत्रों के सत्यापन के लिए परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद से लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि सूबे के 65 जिलों में से 45 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का ही सत्यापन हो चुका है। शेष 20 जिलों के अंकपत्रों का सत्यापन जारी है। अंकपत्रों के सत्यापन जल्द पूरा होने की संभावना है।
परीक्षा रिकार्ड व प्रवेश सूची से करेंगे मिलान
एसआइटी परीक्षा रिकार्ड व प्रवेश सूची से छात्रों का मिलान करेंगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि जिन छात्रों का दाखिला ही नहीं लिया उनके नाम से अंकपत्र तो नहीं जारी कर दिया गया है।
कुलसचिव से मांगी सूची
परीक्षा नियंत्रक ने विश्वविद्यालय व संबद्ध कालेजों के बीएड में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं की सूची कुलसचिव से मांगी है ताकि एसआइटी से उपलब्ध कराया जा सके।
सत्यापन में अनियमितता
सूबे के विभिन्न जनपदों में बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित विद्यालयों में विश्वविद्यालय के उपाधिधारक बड़े पैमाने पर चयनित हुए थे। विवि पर सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। इसे देखते हुए शासन ने इसकी जांच एसआइटी सौंप दी। एसआइटी अब सूबे सभी जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन करा रही है। अंकपत्रों के सत्यापन को लेकर एसआइटी की टीम कई बार विश्वविद्यालय आ चुकी है। फरवरी में एक बार फिर एसआइटी के टीम के आने की संभावना है।