नई दिल्ली, Bharat 9। जसप्रीत बुमराह की पहचान उनकी शानदार यॉर्कर की वजह से है। ये उनके तरकस का वो तीर है जिसके आगे दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज बल्लेबाज पस्त हो जाते हैं। यहां पर किस्सा ये है कि लोगों को लगता है कि बुमराह ने ये कला मुंबई इंडियंस के अपने साथी गेंदबाज लसिथ मलिंगा के सीखी है। दरअसल आइपीएल में दोनों एक ही टीम मुंबई के लिए खेलते हैं। इस बात का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि श्रीलंका की टीम भारतीय दौरे पर आई है और दोनों टीमों के बीच तीन मैचों की टी 20 सीरीज खेली जाएगी।
श्रीलंका टीम की कमान लसिथ मलिंगा हैं जो अपने घातक यॉर्कर की वजह से जाने जाते हैं। इस सीरीज के शुरू होने से पहले बुमराह ने साफ किया है कि अगर किसी को ये लगता है कि उन्हें यॉर्कर गेंद खेलने की कला मलिंगा ने सिखाई है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने अपनी मेहनत और अनुभव के दम पर ये गेंद फेंकना सीखा। बुमराह ने कहा कि उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं सिखाया है। मैंने उनसे मैदान पर जो बातें सीखी हैं वो ये है कि अलग-अलग परिस्थिति का सामना कैसे करना है साथ ही किसी बल्लेबाज के विरुद्ध किस तरह से योजना बनानी है साथ ही खेल के दौरान अपने गुस्से पर कैसे काबू पा सकते हैं।
बुमराह ने बताया कि मैं टीवी पर क्रिकेट देखा करता था। मैच के दौरान जब भी कोई गेंदबाज विकेट लेता था या फिर तेज गति से थ्रो करता था तो मुझे काफी अच्छा लगता था। फिर मैंने सोच लिया था कि यही करना है। इसके बाद मैं उन गेंदबाजों की नकल करता जिनकी गेंदबाजी मुझे पसंद आती थी।
बुमराह ने बताया कि उन्होंने किस तरह से यॉर्कर गेंद फेंकनी सीखी। उन्होंने कहा कि गली क्रिकेट खेलते हुए हमारे पास रबड़ की गेंद होती थी जो काफी सख्त होती थी और उस पर सीम भी होता था। ये गेंद काफी स्विंग होती थी। हम पिच पर नहीं खेलते थे इसलिए कोई सीम मूवमेंट नहीं होती थी और विकेट के पीछे कैच आउट होने की संभावना नहीं था। ऐसे में मैं ज्यादा से ज्यादा फुल लेंथ पर गेंद फेंकने की कोशिश करता था। यहां पर अगर विकेट चाहिए तो यॉर्कर की फेंकनी होती थी। मेरा ने मानना है कि मेरे इस अनुभव ने मुझे काफी कुछ सिखाया।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता मैंने अपने दम पर हासिल की है। प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने से पहले मैंने सिर्फ एक ही बार कोचिंग ली थी और वो भी स्कूल कैंप के दौरान। मैंने टीव देखकर क्रिकेट खेलना सीखा है। मैं अपने वीडियो देखता हूं और फिर अपनी कमी निकालकर उसे ठीक करने की कोशिश करता हूं। इन्हीं वजहों से मुझे सफलता मिलती है।