• जगाधरी वर्कशॉप में बनाई गई फ्यूमिगेशन टनल
• कोरोना से लड़ने के लिए बनाई खास पीपीई किट
• डीआरडीओ ने किट के तीन सैंपलों को दी हरी झंडी
चंडीगढ़(भारतभूषण शर्मा)। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की जांच कर रहे डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए पीपीई किट की कमी आड़े आ रही है। ऐसे में संक्रमित लोगों का इलाज करने वाले डॉक्टर इस किट को एक बार ही प्रयोग करते हैं। अब देश में संक्रमण के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इसी के चलते पीपीई किट की डिमांड भी बढ़ गई थी, जिसे लेकर लगातार सरकार पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा था। किटों की कमी को पूरा करने के लिए जगाधरी वर्कशॉप में रेलवे कर्मचारियों ने पीपीई किट तैयार करने के लिए टेस्ट शुरू कर किया। पिछले एक सप्ताह से इस पर कार्य चल रहा था। इसकी सिलाई इस तरह से की गई है कि उसमें कही से हवा अंदर न जा सके।
सिलाई के बाद ऊपर से टेप लगाई गई है। इसके तीन सैंपल तैयार किए गए थे, जिन्हें डीआरडीओ के पास टेस्टिंग के लिए भेजा गया था। वहां से इन तीनों सैंपल को पास कर दिया गया है। अब जगाधरी वर्कशॉप के अलावा उत्तर रेलवे के आलमबाग और चारबाग में भी ये किट तैयार की जाएगी।
पीपीई किट के साथ ही रेलवे ने काफी मशक्कत के बाद जगाधरी वर्कशॉप में ही एक बीसीएन-ए माडल डिब्बे के सेनेटाइजर रूम यानि फ्यूमिगेशन टनल में बदलने का भी सफल प्रयोग किया है। कोई भी व्यक्ति इस सेनेटाइजर रूम में इनगेट से प्रवेश करेगा तो उस पर नोजलों की ओर से सेनेटाइजर की स्प्रे होनी शुरू हो जाएगी और आउटगेट तक जाते-जाते उस व्यक्ति का पूरा शरीर सेनेटाइज हो जाएगा।
इससे वे व्यक्ति कोरोना या फिर किसी भी दूसरे वायरस से पूरी तरह से सुरक्षित रह पाएगा। उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के मंडल सचिव भूपेंद्र सिंह संधू ने बताया कि रेलवे की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियां हैं कि कोरोना से सीधी लड़ाई लड़ने के लिए सबसे पहले कोचो को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया और अब डॉक्टरों के लिए पीपीई किट के लिए कवर वॉल भी तैयार की जा रही है। रेलवे की ओर से बनाए गए सेनेटाइजर रूम का इस्तेमाल अस्पताल, इंडस्ट्री, कारखानों, ऑफिस और भीड़ वाले दूसरे स्थान पर किया जा सकता है, जिससे वहां से गुजरने वाले लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर सकेंगे।